क्या आप म्यूचुअल फंड की रेगुलर स्कीम में निवेश करते हैं? एक बार डायरेक्ट स्कीम के फायदों के बारे में जान लीजिए

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इंडिया की 57 लाख करोड़ रुपये की म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री में डायरेक्ट प्लान की शुरुआत को एक बड़ी पहल माना जा सकता है। सेबी के निर्देश के बाद 1 जनवरी, 2013 के बाद से सभी एसेट मैनेजमेंट कंपनियों (एएमसी) अपनी ओपन-एंडेड स्कीमों के डायरेक्ट प्लान लॉन्च किए हैं। इंडस्ट्री के डेटा के मुताबिक, म्यूचुअल फंड्स की स्कीमों में करीब 45 फीसदी निवेश डायरेक्ट प्लान के जरिए हो रहा है। डायरेक्ट प्लान के क्या फायदे हैं, क्या डायरेक्ट प्लान का रिटर्न रेगुलर प्लान से ज्यादा होता है, क्या इसका एक्सपेंस रेशियो कम है? आइए इन सवालों के जवाब जानने की कोशिश करते हैं।

डायरेक्ट प्लान में कोई डिस्ट्रिब्यूटर्स शामिल नहीं होता

इंडिया में कई सालों तक म्यूचुअल फंड की स्कीमें डिस्ट्रिब्यूटर्स (MF Distributors) और फाइनेंशियल एडवाइजर्स (Financial Advisors) के जरिए बेची जाती रही हैं। इंटरमीडियरीज की सेवाओं के लिए एसेट मैनजमेंट कंपनियां उन्हें कुछ कमीशन देती हैं। यह एनएवी से दिया जाता है। इसका सीधा असर स्कीम के रिटर्न पर पड़ता है। इसका असर स्कीम की एनएवी पर भी पड़ता है। डायरेक्ट प्लान (Direct Plan) की शुरुआत के बाद से निवेशकों को सीधे स्कीम खरीदने की सुविधा मिलने लगी है।

डायरेक्ट प्लान और रेगुलेर प्लान के रिटर्न में फर्क

डायरेक्ट प्लान और रेगुलर प्लान के बीच के रिटर्न के फर्क को समझने के लिए एक उदाहरण की मदद ली जा सकती है। Baroda BNP Paribas मिडकैप के डायरेक्ट प्लान में हर महीने 10,000 रुपये के निवेश में 10 साल बाद 3.8 लाख रुपये का फंड तैयार होता है। दूसरी तरह इसी तरह की स्कीम के रेगुलेर प्लान में इतने ही निवेश पर 10 साल में 32.7 लाख रुपये का फंड तैयार होता है। इसका मतलब यह है कि डायरेक्ट प्लान का रिटर्न करीब 1.8 फीसदी ज्यादा है। रुपये में यह फर्क 3.1 लाख रुपये आता है।

डायरेक्ट प्लान का रिटर्न लंबी अवधि में काफी ज्यादा

AMC इनवेस्टर्स के पैसे को मैनेज करने के लिए टोटल एक्सपेंस रेशियो (TER) चार्ज करती हैं। इस खर्च में इनवेस्टमेंट मैनेजमेंट एंड एडवायजरी फीस, ट्रस्टी फीस, मार्केटिंग एंड सेलिंग एक्सपेंसेज और डिस्ट्रिब्यूटर्स का कमीशन शामिल होता है। इसका कैलकुलेशन फंड की एनएवी के आधार पर होता है। रोजाना की एनएवी का कैलकुलेशन इस तरह के खर्च को एडजस्ट करने के बाद किया जाता है। इस तरह यह बोझ इनवेस्टर चुकाता है।

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डायरेक्ट प्लान से निवेश में बढ़ रही दिलचस्पी

डायरेक्ट प्लान का एक्सपेंस रेशियो कम होता है, क्योंकि इसमें डिस्ट्रिब्यूटर्स का कमीशन और एक्सपेंसेज शामिल नहीं होता है। ACEMF के डेटा के मुताबिक, इक्विटी फंडों के डायरेक्ट प्लान और रेगुलर प्लान के एक्सपेंस रेशियो का फर्क 30 से 190 बेसिस प्वाइंट्स के बीच होता है। इस फर्क की वजह से ही डायरेक्ट प्लान के इनवेस्टर्स को ज्यादा रिटर्न मिलता है। लंबी अवधि में इस फर्क का बहुत असर पड़ता है।

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