Income Tax Saving: क्या आपको टैक्स बचाने के इन अहम फॉर्मूलों के बारे में पता है?

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नए फाइनेंशियल ईयर (FY) की शुरुआत हो चुकी है। आपको अब अपना टैक्स मैनेज के लिए रणनीति अपनाने की जरूरत है। दूसरे शब्दों में कहें तो यह समय अपना टैक्स बोझ कम करने और बेहतर टैक्स प्लानिंग के जरिये अपने वित्तीय लक्ष्य हासिल करने का है। इसके अलावा, टैक्स कॉन्सेप्ट के बारे में समझना कभी-कभी जटिल पहेली हल करने जैसा लगता है। टैक्स की दुनिया नए कॉन्सेप्ट और टर्म से भरी पड़ी है और कभी-कभी हमें इससे जुड़े शब्द बिल्कुल समझ में नहीं आते।

इस लेख में हम आपको जल्द टैक्स प्लानिंग करने की अहमियत और इससे जुड़ी समझ को बेहतर बनाने की कोशिश करेंगे। साथ ही, टैक्स प्लानिंग से जुड़े टर्म और शब्दों के बारे में भी जानकारी उपलब्ध कराने की कोशिश करेंगे। हम आपको यहां कुछ प्वाइंट्स में अहम जानकारी उपलब्ध करा रहे हैं, जिससे आपको टैक्स से जुड़े बेहतर फैसले लेने में मदद मिलेगी।

फाइनेंशियल ईयर और एसेसमेंट ईयर क्या है?

इनकम टैक्स के नजरिये से बात करें, तो आप एक निश्चित अवधि (फाइनेंशियल ईयर) में जो इनकम हासिल करते हैं, उसका मूल्यांकन इसके बाद वाले फाइनेंशियल ईयर में होता है, जिसे हम एसेसमेंट ईयर कहते हैं। मसलन अगर आप मौजूदा वित्त वर्ष (फाइनेंशियल ईयर) 1 अप्रैल 2024 को शुरू होता है और यह 31 मार्च 2025 को खत्म होता है यानी अगर यह साल 2024-25 है, तो एसेसमेंट ईयर 2025-26 होगा और इसमें पिछले साल की आपकी इनकम का आकलन टैक्स के मकसद से किया जाएगा।

टैक्स प्लानिंग और टैक्स कंप्लायंस को लेकर स्पष्टता

वित्त वर्ष के आखिर यानी हर साल जनवरी या फरवरी में टैक्स की प्लानिंग करना न सिर्फ देरी वाला काम है, बल्कि इससे दबाव भी बन जाता है। दरअसल, अगर हम फाइनेंशियल ईयर के आखिर में यह काम करते हैं, तो यह टैक्स प्लानिंग नहीं बल्कि टैक्स कंप्लायंस है। टैक्स प्लानिंग का मतलब दरअसल टैक्स दायित्व घटाने के लिए रणनीति तैयार करना है और इसके लिए जल्द शुरुआत करनी चाहिए।

पता करें कि कौन-सी टैक्स रिजीम आपके लिए फायदेमंद है

टैक्स प्लानिंग और फाइनेंशियल प्लानिंग एक साथ चलती हैं। टैक्स प्लानिंग पूरे साल चलती रहती है। आदर्श तौर पर यह वित्त वर्ष के प्रारंभ में ही शुरू होनी चाहिए। आपको टैक्स से जुड़ी अपनी स्थिति, खर्च, छूट, कटौतियों आदि के बारे में विचार करना चाहिए। इससे आपको अपनी टैक्स लाइबिलिटी में बारे में आइडिया मिलेगा और यह आपको यह पता चल सकेगा कि आप अपने टैक्स दायित्व को वैध तरीके से किस तरह कम कर सकते हैं। वेतनभोगी लोग ऐसे टैक्स रिजीम का चुनाव कर सकते हैं, जो उनके लिए फायदेमंद होगा। सही टैक्स प्लानिंग से आप अपने टैक्स दायित्वों को काफी हद तक कम कर सकते हैं।

टैक्स सेविंग के विकल्पों के बारे में जानकारी रखें

इनकम टैक्स के सेक्शन 80सी के बारे में काफी सारे टैक्सपेयर्स जानते हैं, लेकिन इसके अलावा भी टैक्स सेविंग के कई विकल्प उपलब्ध हैं, जिसका पुरानी टैक्स रिजीम में फायदा उठाया जा सकता है। मिसाल के तौर पर अगर आप सेक्शन 80सी की 1.5 लाख की सीमा के अलावा भी निवेश करना चाहते हैं, तो आप सेक्शन 80सीसीडी (1बी) के रूप में एनपीएस में योगदान कर सकते हैं। इसके जरिये आप 50,000 रुपये अतिरिक्त बचत कर सकते हैं। इसके अलावा भी कई अन्य विकल्प हैं।

टैक्स कानून में बदलावों को लेकर जागरूक रहें

वित्त वर्ष 2023-24 से नया इनकम टैक्स रिजीम इनकम टैक्स एसेसमेंट के लिए डिफॉल्ट टैक्स रिजीम है। इसका मतलब है कि अगर टैक्सपेयर अपनी टैक्स रिजीम का विकल्प नहीं चुनते हैं, तो नई इनकम टैक्स रिजीम को ही आपक विकल्प माना जा लिया जाएगा। हालांकि, बाद में भी इस विकल्प को बदल सकते हैं। इसके अलावा, टैक्स नियमों में हर साल बदलाव होता रहता है और इसको लेकर टैक्सपेयर्स को जागरूक रहना चाहिए।

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