देश में रेलवे का बहुत बड़ा नेटवर्क फैला हुआ है। यात्रियों की सुविधा को देखते हुए भारतीय रेलवे की ओर से देशभर में हजारों ट्रेनें चलाई जाती हैं। इन ट्रेनों में रोजाना करोड़ों की संख्या में लोग सफर करते हैं। ट्रेनों में क्लास सिस्टम होता है। इन क्लास सिस्टम के आधार पर यात्रियों को सुविधाएं दी जाती हैं। ट्रेन में सफर करते समय फर्स्ट एसी, सेकेंड एसी या थर्ड एसी जैसे कई क्लास का विकल्प मिलता है। एसी कोच में अच्छी सुविधाओं के साथ एसी की ठंडी हवा भी मिलती है। ऐसे में एसी क्लास में सफर करते समय क्या कभी आपने इस सवाल पर विचार किया है कि आखिर ट्रेनों में जो एसी लगे होते हैं? वह कितने टन का होता है?
करीब एक कोच में 72 यात्रियों के बैठने की वयवस्था होती है। ऐसे में इन सब को बराबर की कूलिंग मिले ये इस एयर कंडीशनर की खासियत है। इसके लिए ट्रेन में कितने टन क्षमता का एसी लगाया जाता है?
ट्रेन के हर कोच में दो एसी लगाए जाते हैं
ट्रेन में लगे एसी की क्षमता के लिए कोई मापदंड तो तय नहीं है। अक्सर यह कोच के साइज के ऊपर निर्भर करता है कि उसमें कितने टन का एसी होना चाहिए। रेल अधिकारियों के मुताबिक, हर कोच में एसी की संख्या तय रहती है। इनकी क्षमता को अलग-अलग बांटा जाता है। एक कोच में दो एसी लगाए जाते हैं। ये दोनों छोर पर लगाए जाते हैं। एक कोच में सात टन की क्षमता वाले एसी लगाए जाते हैं। इनमें किसी ट्रेन में 3.5-3.5 टन में या किसी में 4 और 3 टन में बांट दिया जाता है। इस तरह 7 टन का एसी पूरे कोच को ठंडा रखता है। पूरे कोच में ठंडक को बराबर पहुंचाने के लिए हर कंपार्टमेंट के ऊपर डक्ट बने होते हैं। उससे एसी की ठंडक सभी सीटों पर सवार यात्रियों को मिलती रहती है।
एसी कोच में तापमान 22-24 डिग्री सेल्सियस रहता है
एसी कोच का तापमान 22 डिग्री से 24 डिग्री के बीच रखा जाता है। थर्ड एसी कोच में यात्रियों की संख्या ज्यादा होती है। लिहाजा यहां का तापामान 22 डिग्री सेल्सियस रखा जाता है। वहीं सेकेंड और फर्स्ट एसी में 24 डिग्री रखा जाता है। हालांकि कई बार यात्रियों की सुविधानुसार कम ज्यादा भी किया जाता है।